15 जुलाई यानी आज ‘सोशल मीडिया गिविंग डे’ है। एक ऐसा दिन जो बताता है कि सोशल मीडिया से समाज में पॉजिटिव बदलाव लाने के साथ ही जरूरतमंदों की जिंदगी को बेहतर बनाया जा सकता है।

इस नजरिए से सोशल मीडिया तो समाज के लिए फायदेमंद साबित होता, लेकिन इसकी ज्यादती से व्यक्ति गलत आदतों की तरफ खिंच रहा है, जिससे जिंदगी पर बुरा असर देखने को मिल रहा है।

राजस्थान के युवक को गांजा छोड़ सोशल मीडिया की लत लगी

‘राजस्थान के अजमेर में 25 साल के एक लड़के को भांग खाने और गांजा पीने की आदत थी। स्मार्टफोन हाथ में आने के बाद सोशल मीडिया पर बने रहने का आधे घंटे का शौक धीरे-धीरे 10-12 घंटे में बदल गया। नशे की आदत तो छूटी, लेकिन सोशल मीडिया के इस्तेमाल ने पोर्नोग्राफी की लत में धकेल दिया। जो मजा भांग से मिल रहा था, वो सोशल मीडिया से मिलने लगा।’

लिव-इन कपल के रिश्ते के बीच आया सोशल मीडिया

‘बेंगलुरु में लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे इस कपल के बीच सोशल मीडिया एडिक्शन आ गया। नॉर्मल लड़का पोर्नोग्राफी एडिक्ट बन गया। देर रात तक पोर्नोग्राफी देखता। नौबत ब्रेकअप तक आ गई। जब कपल को इसका अहसास हुआ कि रिलेशनशिप नहीं बचेगी तो वो सोशल मीडिया डिएडिक्शन सेंटर आए। छह महीने के ट्रीटमेंट के बाद लड़के के सिर से सोशल मीडिया का बुखार उतरा।’

ये दोनों मामले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (NIMHANS) बेंगलुरु के SHUT क्लिनिक में अध्ययन का विषय बने।

फाइव C से होती है सोशल मीडिया एडिक्ट की पहचान

मेंटल हेल्थ पर काम करने वाली देश की सबसे बड़ी संस्था NIMHANS की ओर से 2014 में SHUT (सर्विस फॉर हेल्दी यूज ऑफ टेक्नोलॉजी) क्लिनिक की शुरुआत की गई थी।

SHUT क्लिनिक के हेड डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार फाइव C या फाइव सीक्रेट के जरिए सोशल मीडिया के बुखार की पहचान की जाती है।

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