मेरठ। सरस्वती लोक कालोनी में स्थित एक घर में तीन दिन में सांप के 40 बच्चे निकलने से लोगों को होश उड़ गए। बुधवार को इसकी सूचना लोगों ने वन विभाग की टीम को दी। डीएफओ और वन्य जीव विशेषज्ञों ने इसके पहले सांपों की प्रजाति को परखा तो पाया कि यह पानी वाले सांप हैं, जिसके बाद कालोनी वासियों ने राहत की सांस ली। सरस्वती लोक के मकान नंबर सी-220 में जगजीत सिंह पत्नी प्रीति व बच्चों के साथ रहते है। जगजीत सिंह इस समय शहर से बाहर गए हुए है। घर पर उनकी पत्नी व बच्चे हैं। सोमवार को उनके घर के प्रथम तल पर कोबरा सांप के छोटे-छोटे कई बच्चे दिखाई दिए। उन्होंने बच्चों को उठाकर बाहर फेंक दिया। मंगलवार व बुधवार को भी सांप के बच्चे निकले तो परिवार के लोगों के होश उड़ गए। प्रीति ने मामले की जानकारी पड़ोसियों को दी।

सांप के बच्‍चों का क‍िया गया रेस्‍क्‍यू

सूचना वन विभाग को दी, जिसके बाद वन विभाग की एसडीओ अंशु चावला व उनकी टीम मौके पर पहुंची। जिस जगह सांप के बच्चे मिले वह शौचालय के पास है। वन विभाग के दरोगा विशंभर सिंह के नेतृत्व में सांप के बच्चों को रेस्क्यू किया गया।

छह से सात इंच के थे सांप के बच्‍चे  

विशंभर सिंह ने बताया कि सांप के बच्चों की लंबाई 6-7 इंच है। मंगलवार को सांप के 28 बच्चे पकड़े गए थे और बुधवार को भी 12 बच्चे मिले। वन्यजीव विशेषज्ञ आदित्य तिवारी ने बताया कि सामान्य बोल चाल में इन्हें पानी वाला सांप कहते हैं। यह जहरीले नहीं होते हैं। टीम ने मकान के आसपास भी छानबीन की गई, लेकिन कुछ नहीं मिला। आशंका है कि सीवर मार्ग से सांप के बच्चे घर के अंदर आ गए हों।

चेकर्ड कीलबैग वाटर प्रजात‍ि के थे सांप
   
डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि यह चेकर्ड कीलबैक वाटर प्रजाति के सांप हैं। बच्चों के साथ एक बड़ा सांप भी मिला है। बतातें चलें कि चेकर्ड कील बैक सांप कुएं, बगीचे, धान के खेत सिंचाई के संसाधन होते हैं वहां पर बहुुतायत में मिलते हैं। घरों में यह किचन या बाथरूम में पानी के पाइप के माध्यम से आ जाते हैं। विषहीन होने के बावजूद यह उग्र स्‍वभाव के होते हैं। इससे लोग भयभीत होते हैं। इनती बड़ी संख्या में सांप के बच्चों को देखने के लिए लोग जमा हो गए। पहले लोग दहशत में थे। पर वन विभाग की टीम ने इनके जहरीले न होने की पुष्टि की तो उन्होंने राहत की सांस ली।