दिल्ली में सरपट दौड़ते दिखे बाइक टैक्सी तो लगेगा फटका.....
दिल्ली| दिल्ली में बाइक टैक्सी के परिचालन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रतिबंध लग गया है। इसका मतलब दिल्ली में सस्ती दर पर बाइक टैक्सी के जरिए किसी को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना गैर कानूनी होगा।
दिल्ली वासी बाइक टैक्सी की मदद से अपने घर-दफ्तर से मेट्रो स्टेशन तक का सफर तय करते हैं। अब इसी तरह की छोटी यात्राओं के लिए दिल्लीवासियों को ऑटो और कैब का रुख करना पड़ेगा, जो तुलनात्मक रूप से महंगा होगा।
क्यों लगा बैन?
दिल्ली के परिवहन विभाग ने फरवरी 2023 में दोपहिया वाहनों पर सवारी ढोने पर रोक लगा दी थी। दरअसल, परिवहन विभाग द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसके तहत बाइक को टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने को दंडनीय अपराध बताया गया था। परिवहन विभाग द्वारा बताया गया था कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत दो पहिया वाहनों पर सवारी ढोना दंडनीय अपराध है।
परिवहन विभाग के इस आदेश के खिलाफ बाइक टैक्सी मुहैया कराने वाली कंपनियों ने हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने परिवहन विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिस पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया। यानी अब साफ है कि दिल्ली में बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध रहेगा।
क्या हमेशा के लिए बंद हो गई हैं बाइक टैक्सियां?
दिल्ली के परिवहन विभाग ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि प्रशासन गैर-परिवहन दोपहिया वाहनों के लिए एक पॉलिसी जल्द लेकर आएगा। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक पॉलिसी नहीं आ जाती, तब तक बाइक टैक्सियां सड़कों पर दौड़ती रहेंगी। गौरतलब है कि अब सुप्रीम कोर्ट ने इसपर बैन लगाया है।
इस मामले को लेकर परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा ने साफ-साफ कहा कि बाइक टैक्सियों के लिए नई नीति तैयार की जा रही है। नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। साथ ही परिवहन आयुक्त ने कहा, ''ओला-उबर जैसी कंपनियां प्रस्तावित नीति पर अपनी टिप्पणियां देने के लिए स्वतंत्र हैं। नीति को अंतिम रूप देते समय उन मुद्दों को शामिल किया जाएगा।''
इसका मतलब ये समझा जाए कि दिल्ली सरकार की नई नीति के बाद जल्द ही बाइक टैक्सियों से बैन हटेगा और लोग फिर से बाइक टैक्सी पर सफर कर सकेंगे।
कितना लगेगा जुर्माना?
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत दो पहिया वाहनों पर सवारी ढोना दंडनीय अपराध है। इस एक्ट के तहत पहली बार इस नियम का उल्लंघन करने पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं, अगर दूसरी बार भी ऐसा करते पाए गए तो जुर्माने के तौर पर 10 हजार रुपये देने पड़ेंगे।