अयोध्या। यूपी में इंसान हो या भगवान सबको गर्मी सता रही है। वहीं अयोध्या में राम लला को गर्मी से मुक्ति के लिये उनकी पोषक में भी बदलाव किया गया है। पूरे देश के विभिन्न जगह से आने वाले मलमल और कॉटन वस्त्रों का प्रयोग रामलला के लिए किया जा रहा है। इसमें आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के प्रमुख कॉटन वस्त्र पोचमपल्ली और राजस्थान भुज की बंधेज और उत्तराखंड के सिकोली के साथ चिकनकारी वस्त्रों का प्रयोग भगवान के पोशाक में किया जा रहा है। राम लला की पोशाक बेहद खास और गर्मी के लिहाज से बहुत ही आरामदायक है। ड्रेस डिजाइनर मनीष त्रिपाठी लगातार भगवान की पोशाक को बेहतर से बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत हैं। शायद यही वजह है कि चिलचिलाती गर्मी को देखते हुए प्रभु राम को सूती वस्त्र धारण कराए जा रहे हैं। यह कोई ऐसे वैसे वस्त्र नहीं हैं इस वस्त्र में पूरे देश को समाहित करने का भी प्रयास किया गया है। शायद यही वजह है कि विभिन्न राज्यों से निर्मित वस्त्र अयोध्या के बालक राम धारण कर रहे हैं।
राम जन्मभूमि में विराजमान रामलला की सेवा 5 वर्षीय बालक के तौर पर की जाती है। आम तौर से घरों में जिस तरह 5 वर्षीय बालक को गर्मी से बचाने के लिए कार्य किया जाता है। कुछ ऐसा ही रामलला के पुजारी भी अनवरत राम लला के लिए करते रहते हैं। राम लला के ड्रेस डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताया कि भगवान राम लला की ड्रेस में विशेष तौर पर मलमल कॉटन का प्रयोग किया जा रहा है। उसके साथ ही इंडियन टेक्सटाइल्स का प्रयोग करके भगवान की पोशाक को सजाया जा रहा है। भगवान की पोशाक में आंध्रा, तेलंगाना के पोचमपल्ली राजस्थान भुज से बंधेज और उत्तराखंड की सिकोली के साथ ही चिकनकारी है जिस पर महीन धागे से काम किया गया है। इसी तरह की मलमल और सूती वस्त्रों का प्रयोग करके भगवान की पोशाक तैयार की जा रही है। भगवान राम लला मलमल कॉटन वस्त्रों में गर्मी का आनंद ले रहे हैं। इनके ड्रेस डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताया कि जैसे-जैसे गर्मी कम होती जाएगी। वैसे-वैसे भगवान के अलग-अलग वस्त्रों का प्रयोग करके पोशाकें बनायी जाएंगी।