प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जब दहेज लेना व देना दोनों अपराध है और आयकर विभाग दो लाख से अधिक नकद देने को अवैध मानता है तो केवल लाखों का दहेज मांगने संबंधी बयान पर आर्थिक स्रोतों की जांच बगैर पुलिस परिवार के खिलाफ चार्जशीट कैसे दाखिल कर रही है।

किसी अवैध कमाई को दहेज में देने के आरोप पर उसकी वसूली कैसे की जा सकती है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने सरकार को दहेज प्रतिषेध कानून के उपबंधों को कड़ाई से लागू करने का आदेश देते हुए कहा है कि जिला प्रतिषेध अधिकारी को दहेज के आरोपों की जांच कर अभियोजन की संस्तुति करने या अभियोजित करने दिया जाए। दोनों पक्ष शादी के समय वर-वधू को मिले उपहारों की सूची एक माह में दहेज निषेध अधिकारी को सौंपे।

न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने अंकित सिंह व तीन अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया है। अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी। कोर्ट ने सरकार को मीडिया, टीवी, एनजीओ की सहायता से दहेज के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया है और कहा है कि दहेज के खिलाफ होर्डिंग्स लगाई जाए तथा दहेज विरोधी कैंपेन चलाया जाए। कोर्ट ने मुख्य दहेज प्रतिषेध अधिकारी से हलफनामा मांगा है कि पिछले दो वर्ष में जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी के समक्ष कितनी शिकायतें आई और कितनों का अभियोजन किया गया।

नकद दहेज के आरोप पर देने वाले की आर्थिक स्थिति की जांच की गई या नहीं। कोर्ट ने विवाह पंजीकरण के समय उपहारों की सूची की अनिवार्यता संबंधी सरकारी कदम की सराहना की है। कोर्ट ने कहा है कि उपहारों की सूची सौंपने संबंधी कानून का कड़ाई से सरकार पालन कराए। कोर्ट ने सीएमएम कानपुर नगर के समक्ष याची के विरूद्ध चल रहे मुकदमे पर रोक लगा दी है।

निदेशक (महिला कल्याण) ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि जिला प्रोबेशन अधिकारी को ही जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी नामित किया गया है। धारा 8बी में स्पष्ट है कि विवाह के एक महीने के अंदर वर-वधू को मिले उपहारों की सूची दहेज प्रतिषेध अधिकारी को सौंपी जाएगी। इसे सुरक्षित रखा जाएगा और एक रजिस्टर रखा जाएगा। अधिकारी पर कानूनी उपबंधों के पालन की जिम्मेदारी होगी।

कोर्ट ने कहा दहेज के आरोप के केस बढ़ रहे हैं और किसी में उपहारों की सूची का उल्लेख नहीं किया जा रहा है जबकि कानून में वर वधू पक्ष के हस्ताक्षर से उपहारों की सूची देना बाध्यकारी है। कोर्ट ने आईजी (पंजीकरण) के बिना उपहार सूची विवाह पंजीकृत न करने के निर्देश को स्वागत योग्य कदम बताया। इसके साथ ही कहा कि इससे झूठे दहेज के केसों में कमी आएगी।

कोर्ट को बताया गया कि सभी सरकारी विभागों को निर्देश दिया जा रहा है कि सभी सरकारी सेवक अपनी शादी में उपहारों की सूची देंगे। निदेशक (महिला कल्याण) ने 26 नवंबर को दहेज निषेध दिवस के रूप में मनाए जाने का आदेश जारी किया है। दहेज प्रतिषेध अधिकारी को दहेज के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कोर्ट ने कहा कि दहेज विरोधी कानून बने 62 वर्ष बीत गए, अभी भी उसका पूरी तरह पालन नहीं किया जा रहा है।

इस्लामिक कानून में अदालत को बच्चों के संरक्षक की नियुक्ति का अधिकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि इस्लामिक कानून तो मां को बच्चों की अभिरक्षक मानता है। जब भी ऐसे मामले अदालत में आए तो बच्चे के कल्याण को ध्यान में रखते हुए अदालत अपने कर्तव्यों का पालन करें। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने बच्चे की अभिरक्षा मां को सौंपे जाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति डा. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने प्रयागराज के आर्या खान व अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है।

मां ने अपने ढाई वर्ष के बच्चे के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। उसका कहना था कि पति बाहर रहता है। भविष्य में उसके आने की संभावना नहीं है। उसके बच्चे को सास ने जबरन अपने पास रखा है। मां बच्चे की नैसर्गिक संरक्षक है, बच्चा उसे दिलाया जाए। कोर्ट ने कहा कि इस्लामिक कानून में सात वर्ष की आयु तक बेटे व यौनावस्था तक बेटी की अभिरक्षा की हकदार उसकी मां है। विपक्षी गण को बच्चे से समय समय पर मुलाकात करने की छूट कोर्ट ने दी है।