बिलासपुर । तत्कालीन कुलपति द्वारा अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर की गई एक रिटायर्ड प्रोफेसर की नियुक्ति को हाईकोर्ट ने गलत माना है। कोर्ट ने गाहिरा गुरु विवि के कुलसचिव द्वारा जारी आदेश को उचित ठहराया है। विवि ने याचिकाकर्ता को पद से हटा दिया था। गाहिरा गुरु विवि अंबिकापुर में वर्ष 2012 में डॉ सुनील कुमार वर्मा कुलपति थे। उन्होने उस दौरान विवि अधिनियम की धारा 15 ( 4) के आधार पर एक  सेवानिवृत्त प्रोफेसर आईएस चंद्राकर को यूनिवर्सिटी में नियुक्ति प्रदान कर दी थी।  कुलपति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नये कुलपति ने कार्यभार लिया , तब उनके संज्ञान में यह बात आई कि, नियमों का दुरुपयोग कर यह नियुक्ति की गई है। इस पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने याचिकाकर्ता के भत्तों का भुगतान रोक दिया। कुछ समय बाद कुलसचिव आरडी शर्मा ने प्रो चंद्राकर को पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया। प्रोफेसर ने इसे एडवोकेट चन्द्रेश श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी। गाहिरा गुरु विवि सरगुजा का पक्ष एडवोकेट नीरज चौबे ने प्रस्तुत किया। जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि वैधानिक प्राधिकारी विधि के अंतर्गत मिली अपनी सीमा से बढकऱ कार्य नहीं कर सकते। उनको प्राप्त शक्ति से परे की गई कार्रवाई विधिक वैधता नहीं रखती। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।