तैयार हो रही ‘माननीयों’ की कुंडली l
भोपाल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले मंत्र के बाद अल्पकालीन विस्तारकों ने 7 दिन तक मैदानी मोर्चे पर रहकर सांसदों और विधायकों की स्थिति का आकलन किया है। भाजपा सूत्रों के अनुसार इन अल्पकालीन विस्तारकों ने विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनाव के लिए एक साथ काम किया है। मप्र में सक्रिय रहे अल्पकालीन विस्तारकों ने प्रदेश की हर विधानसभा और लोकसभा सीट पर सर्वे किया है। इस दौरान माननीयों (विधायकों और सांसदों )के कामकाज व सक्रियता का सर्वे किया गया है। इस सर्वे के आधार पर माननीयों की कुंडली तैयार की जाएगी। मप्र में माननीयों की कुंडली दूसरे राज्यों के अल्पकालीन विस्तारक तैयार कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 27 जून को भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पकालीन विस्तारकों को जरूरी टिप्स देकर मप्र सहित चुनाव वाले पांचों राज्यों के लिए रवाना किया था। भोपाल में बिहार के कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई गई थी। प्रदेश के अन्य सभी छोटे-बड़े गांव व शहरों में दूसरे राज्यों से आए ये अल्प कालीन विस्तारकों ने घर-घर जाकर दस्तक दिया। मोदी के इन विस्तारकों ने दिन भर मंडल और बूथों पर घूम-घूम कर सांसद-विधायकों की सक्रियता का ब्यौरा भी लिया। इन कार्यकर्ताओं ने केंद्र की योजनाओं के बारे में हितग्राहियों से पूछा कि उन्हें अब तक केंद्र-राज्य की कौन-कौन सी योजनाओं का लाभ मिला। योजनाओं का क्रियान्वयन कैसा है? स्थानीय बाशिंदों से क्षेत्रीय विधायक- सांसद का नाम भी पूछा गया। मप्र में 825 विस्तारकों ने 7 दिन तक सभी 230 विधानसभा सीटों पर सर्वे किया है। इन सभी की रिपोर्ट को एकजाई कर प्रधानमंत्री को सौंपी जाएगी।
बूथों की जमीनी हकीकत जुटाई गई
प्रदेश में भाजपा संगठन लगातार दावा कर रहा है कि देश में सबसे मजबूत बूथ पर पकड़ मप्र में है। प्रदेश संगठन के इन दावों की हकीकत जानने के लिए इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कदम आगे बढ़ाया है। इसके तहत भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बाहरी राज्यों के कार्यकर्ताओं के माध्यम से मप्र में बूथों की जमीनी स्थिति पता करा रहा है। मेरा बूथ-सबसे मजबूत कार्यक्रम में 27 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली में बाहरी राज्यों से भोपाल आए लगभग तीन हजार कार्यकर्ताओं में से सवा आठ सौ विस्तारकों को भाजपा ने मप्र में बूथों की जमीनी हकीकत पता करने के लिए सात दिनों के प्रवास पर अलग-अलग 1082 मंडलों में भेजा था। उनके माध्यम से पार्टी जानना चाहती है कि हर बूथ पर पन्ना समिति, अर्ध पन्ना समिति बनी है या नहीं। इनके साथ मध्य प्रदेश के भी ढाई सौ कार्यकर्ताओं को बूथों पर भेजा गया था। प्रदेश में 65 हजार से अधिक बूथ हैं। देश के सभी राज्यों से आए बूथ कार्यकर्ताओं से कहा गया था कि हम संकल्प लें कि राज्यों के विधानसभा चुनाव में हर बूथ पर भाजपा को जिताएंगे। बूथ जीता तो चुनाव जीता। 2023 में राज्यों में भाजपा की सरकार बनेगी और वर्ष 2024 में नरेन्द्र मोदी एक बार फिर देश का नेतृत्व करेंगे।
हर बूथ की विस्तार से समीक्षा
मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में सात दिनों तक कार्यकर्ताओं ने बूथ विस्तारक बनकर काम किया। हर कार्यकर्ताओं को एक-एक मंडल की जिम्मेदारी दी गई है। इसमें आने वाले बूथों पर विस्तारकों ने बूथ कमेटी, पन्ना कमेटी और अर्ध पन्ना प्रमुख के लिए अब तक किए गए प्रयासों को परखा। बूथ की मजबूती के लिए बैठक करके उन नई बातों से अवगत कराया, जिन्हें यहां लागू नहीं किया गया था। हर बूथ की विस्तार से समीक्षा की और प्रदेश संगठन के लिए रिपोर्ट भी तैयार की। बूथ पर भेजने से पहले इन कार्यकर्ताओं को एक दिवसीय प्रशिक्षण भी दिया गया था। बूथ भेजे गए इन विस्तारकों ने भाजपा कार्यकर्ताओं को सेवा का पाठ भी पढ़ाया। जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यकर्ताओं को लक्ष्य दिया था, उसी के अनुरूप विस्तारकों ने बूथ पर भाजपा कार्यकर्ताओं को समाज सेवक बनकर काम करने की प्रेरणा दी। पीएम ने कहा था कि आप देखना आपकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदल जाएगा। उन्हें सीख दी गई कि जनता की रोजमर्रा की जिंदगी से जुडकऱ आपका बूथ मजबूत होगा।
इस तरह हुआ सर्वे
पार्टी ने अल्पकालिक विस्तारकों को सर्वे की जो जिम्मेदारी दी थी उसके तहत उन्होंने स्थानीय लोगों से किसी भी चौराहे, गली, सडक़ से लेकर दुकान व आवासों में जाकर विधायक के बारे में चर्चा की। आमजन यदि विधायक के पक्ष में बोलें तो कार्य बेहतर। पसंद न हो तो लोगों के खिलाफ बोलने पर नापसंद की राय बनाई गई है। भाजपा की मजबूती का आधार ही हमारा बूथ है। पार्टी पदाधिकारियों के अनुसार चुनाव पूर्व गुजरात से भी सर्वे के लिए पदाधिकारी आएंगे। 2013 व 2018 में बड़ी संख्या में गुजरात से आए पदाधिकारियों के सर्वे के आधार पर टिकट वितरण हुआ था। ये दावा आज भी किया जाता है। ऐसे में हर माह अलग-अलग लोगों व ऐजेंसियों से सर्वे कार्य कराया जाएगा। अंतिम सर्वे गुजरात के नेता करेंगे। सभी प्रकार के सर्वे के बाद ही पार्टी अंतिम निर्णय लेगी। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि सर्वे में विभिन्न विषय शामिल रहते हैं। कई बार तो इस प्रकार के सर्वे में घोषणा पत्र में जोडऩे लायक मुद्दे भी सामने आते हैं। सर्वे अंतिम समय तक चलेगा। ये आंतरिक होता है, इसलिए किसके बारे में रिपोर्ट कार्ड में क्या आया, ये नहीं बताया जाता। मप्र में बूथ विस्तारक योजना के तहत बहुत सराहनीय काम किया गया है इसलिए देश के अन्य राज्यों से आए कार्यकर्ताओं को संगठन ने मप्र के हर मंडल तक भेजा था। इसका उद्देश्य सीखना-सिखाना था, जो नई बातें हैं उन्होंने हमें सिखाईं, कुछ अच्छे काम यहां से सीखे।
ले रहे हैं फीडबैक
गौरतलब है कि प्रदेश में भाजपा नेताओं की सक्रियता पर लगातार सवाल उठ रहे थे। इसलिए प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर भाजपा हाईकमान ने इस बार मैदानी फीडबैक हासिल करने दूसरे राज्यों के कार्यकर्ताओं को तैनात किया था। इन कार्यकर्ताओं ने सांसद-विधायकों के कामकाज और फील्ड में उनकी सक्रियता का फीडबैक भी लिय है। संगठन एप पर यह फीडबैक भी दर्ज किया जा गया है कि जनप्रतिनिधि क्षेत्र में पिछली बार कब आए थे। भोपाल शहर के क्षेत्रवासियों ने भाजपा के तीनों विधायकों की सक्रियता और जनता से लगातार संपर्क का फीडबैक दिया लेकिन भोपाल उत्तर, मध्य और दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में स्थिति आज भी पूर्ववत बताई गई है। सांसद की सक्रियता पर लोगों ने सवाल खड़े किए। हर बूथ पर ये कार्यकर्ता 50- 60 लोगों से संपर्क कर संगठन के एप में उनका फीडबैक दर्ज किया है। पार्टी कार्यकर्ता, क्षेत्रीय लोगोंं और लाभार्थियों से योजनाओं का ब्यौरा लिया गया।
जिताऊ को ही टिकट
मप्र में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों की तैयारी परवान चढ़ती जा रही है। खासकर भाजपा और कांग्रेस सरकार बनाने के लिए चुनावी तैयारी कर रहे हैं। इसी कड़ी में भाजपा का लक्ष्य है कि गुजरात की तरह ही मप्र में भी रिकॉड जीत दर्ज की जाए। इसके लिए पार्टी की रणनीति है कि इस बार के चुनाव में केवल जिताऊ उम्मीदवारों को ही टिकट दिया जाए। इसके लिए पार्टी सांसदों पर भी दांव लगा सकती है। इसलिए सांसदों और विधायकों के कामकाज व सक्रियता का सर्वे एक साथ कराया जा रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार क्षेत्रीय, जातिय समीकरणों को देखते हुए भाजपा आगामी चुनाव में सांसदों को विधानसभा का टिकट देने की रणनीति पर काम कर रही है। गौरतलब है की मप्र भाजपा के कई सांसद भी विधानसभा चुनाव लडऩे की मंशा जाहिर कर चुके हैं। 2018 के चुनाव से सबक लेते हुए भाजपा इस बार केवल उन्हीं चेहरों पर दांव लगाएगी जो जिताऊ हैं। वहीं पार्टी अपने कुछ सांसदों को भी उतार सकती है। भाजपा इस बात का पता लगा रही है कि सांसदों को उतारने से जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन से जुड़े क्या फायदे हो सकते हैं। भाजपा इस कवायद के जरिए मुख्यतौर पर जातीय संतुलन और जीत की संभावना को बढ़ाने की कोशिश ही कर रही है।
लोकप्रियता का सर्वे करा रही पार्टी
विधायकों के साथ ही मप्र की सभी 29 लोकसभा सीटें के लिए भाजपा एक साथ कई मोर्चों पर तेजी से काम करने में जुट गई है। पार्टी का फोकस 2019 में हारी हुई एक मात्र छिंदवाड़ा लोकसभा सीटों के साथ-साथ उन सीटों पर भी है, जहां से भाजपा सांसद लगातार जीत रहे हैं। खासतौर से उन सीटों पर जहां से एक ही नेता ने लोकसभा का पिछला दोनों चुनाव जीता हो।लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर सांसदों की लोकप्रियता और जनता से उनका जुड़ाव भी जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भाजपा इससे पहले भी कई बार विभिन्न राज्यों में नेताओं के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की धार को कुंद करने के लिए बड़े पैमाने पर अपने चुने हुए नेताओं का टिकट काट चुकी है और भाजपा को इसका लाभ भी हासिल हुआ है। इसलिए भाजपा के टिकट पर एक ही सीट से लगातार चुनाव जीतने वाले सांसद, खासतौर से ऐसे सांसद जो 2014 और 2019 का चुनाव एक ही क्षेत्र से जीते हैं, उन्हें 2024 में भी अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए अपनी लोकप्रियता साबित करनी होगी।