भोपाल । सरकार की मंशा प्रदेश में तेजी से औद्योगिकीकरण करने की है, जिससे रोजगार के अवसर तो बढ़ें ही साथ ही राज्य का आर्थिक विकास भी गति पकड़ सके, लेकिन जिम्मेदार अफसर इस मामले में लापरवाह बने हुए हैं। यही वजह है लोगों ने उद्योग स्थापित करने के नाम पर सस्ती दरों पर सरकार से जमीनें तो ले लीं, लेकिन उन पर दूसरे काम घंधे शुरु कर दिए। उधर उद्योग विभाग के अफसर इस मामले में ऐसे लापरवाह बने हुए हैं कि वे आवंटित जमीनों पर क्या काम हो रहा है या तो देखने ही नहीं गए या फिर वे खुद सांठ गांठ में शामिल हो गए। अगर ऐसा नही है तो प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योंगों की जगह फैक्ट्री की जगह शोरूम और अन्य तरह की व्यावसायिक गतिविधियां कैसे संचालित हो रही हैं। यही नहीं इन जमीनों और उन पर बनाए गए शेडों को किराए पर देने का भी धड़ल्ले से काम जारी है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में उद्योगों के लिए आवंटित जमीनों पर 9 हजार से अधिक शोरूम और व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। ऐसी जमीनों को अब निरस्त करने की कार्रवाई जल्द उद्योग विभाग करेगा।
राज्य सरकार ने जिस पर्पज के लिए उद्योगों को जमीन आवंटित की थी, उस जमीन पर उद्योग खोलने की अपेक्षा उसे किराए पर दिया गया है अथवा वहां शोरूम खुले हुए हैं। जिस जमीन पर करीब 9 हजार उद्योग संचालित होने चाहिए थे , वहां पर दूसरा ही काम हो रहा है। इसकी जानकारी एमएसएमई और उद्योग विभाग को होने के बाद भी इनकी लीज निरस्त नहीं की गई है, क्योंकि अफसरों की मेहरबानी जो उन पर रहती है। इसी का नतीजा है कि बगरोदा में जिस उद्योग की फैक्ट्री को किराए पर दिया गया था, उसमें ड्रग्स तैयार हो रहे थे। भोपाल के गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में ही करीब 1200 औद्योगिक इकाइयां हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश में गैर-औद्योगिक कार्य संचालित किया जाता है। तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे उद्योगपतियों से जमीन वापस लेने के निर्देश दिए थे, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनाव के चलते इस पर अमल नहीं हो सका।


एसटीएफ की कार्रवाई के बाद सक्रियता शुरु

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और गुजरात एटीएस की कार्रवाई में भोपाल के बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स बनाने का मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने संबंधित उद्योग की जमीन की लीज निरस्त करने का नोटिस दिया है। जिन जमीनों का गैर औद्योगिक उपयोग या अवैध गतिविधियां संचालित होती पाई जाती हैं तो संबंधित जमीन जिसको आवंटित है, उसके और जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। एमएसएमई एवं औद्योगिक नीति प्रोत्साहन विभाग ऐसी जमीनों की रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को सौंपेगा।