बिलासपुर । हाईकोर्ट ने राज्य शासन को निर्देशित किया है कि आंगनबाड़ी में सुपरवाइजर भर्ती के लिये याचिकाकर्ताओं को भी केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार पदोन्नत करने पर विचार करे। इनको उम्र अधिक होने के आधार पर अवसर नहीं दिया जा रहा था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी को निराकृत कर दिया। राज्य शासन ने आँगनबाड़ी सुपरवाइजर पद पर भर्ती के लिये पहले 200 पद वर्ष 2021 में निकाले। इसमें 100 पद सीधी भर्ती से और 100 कार्यकर्ताओं के प्रमोशन से भरे जाने थे। 2023 में भी रिक्त 440 पदों में से 220 पदों को इसी तरह दो हिस्सों में बांटा गया था। इस प्रक्रिया में शामिल पद्मावती व अन्य कार्यकर्ताओं को 45 वर्ष से अधिक आयु की  होने के कारण अवसर नहीं दिया गया। इन सबने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसी तरह अन्य लोगों ने भी दूसरे माध्यम से याचिकाएं प्रस्तुत कीं। इन पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने परीक्षा व चयन प्रक्रिया  में शामिल होने देने का निर्देश दिया। इसी तरह एक  याचिकाकर्ता सुषमा दुबे को 2021 की परीक्षा में चयन होने के बाद भी नियुक्त नहीं किया गया। इन्हें कोर्ट का निर्णय आने तक रोका गया था। मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी में अंतिम सुनवाई होने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि 45 वर्ष से अधिक की याचिकाकर्ताओं ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद के लिए काफी लंबा समय समर्पित किया है। पर्यवेक्षक के पद के लिए भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए, राज्य सरकार कुछ उपयुक्त आधार तैयार करे। आप योजना बनाएं या संबंधित नियमों में कुछ छूट प्रदान करें ताकि उन लोगों को भी पर्यवेक्षक के पद के लिए भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर दिया जा सके, जिन्होंने 45 वर्ष की आयु पार करने के कारण तीन महीने में अपना मौका खो दिया है।