मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सिंगरौली निवासी 14 साल की रेप पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. जस्टिस जीएस आहलूवालिया की सिंगल बेंच ने कहा कि माता-पिता के खर्च और जोखिम से पीड़िता का गर्भपात कराया जाए. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और गर्भपात करने वाले डॉक्टरों की इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. इस मामले में हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि सिंगरौली निवासी एक 14 वर्षीय लड़की के अपहरण की रिपोर्ट परिजनों द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई थी. पुलिस ने लड़की की बरामदगी के बाद अपहरण, दुराचार और पॉक्सो सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया था. याचिका में कहा गया था कि नाबालिग लड़की गर्भवती है और वह बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है. इसके अलावा वह मानसिक और शारीरिक रूप से भी बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं है.

कोर्ट ने दिया ये आदेश

हाईकोर्ट के आदेश पर नाबालिग के माता-पिता ने एक हलफनामा पेश किया कि ट्रायल के दौरान इस बात का समर्थन करेंगे कि आरोपी ने उनकी नाबालिग बेटी का अपहरण किया था. साथ ही रेप किए जाने के कारण ही उनकी बेटी गर्भवती हुई थी. इसके अलावा वह अपने बयानों से मुकरेंगे नहीं. जस्टिस अहलुवालिया की सिंगल बेंच ने सीलबंद मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद गर्भपात की अनुमति प्रदान की है. कोर्ट ने कहा कि "गर्भपात के बाद भ्रूण को जांच एजेंसी के सुपुर्द किया जाए. विवेचना अधिकारी भ्रूण प्राप्त होने के दो दिनों में उसे डीएनए और फिंगर प्रिंट जांच के लिए भेजें. प्रयोगशाला अधिकारी एक महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करें." एकलपीठ ने सिंगरौली के CMHO को निर्देशित किया है कि आवश्यक होने पर पीड़िता का गर्भपात मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में कराया जाए.