सरकारी अस्पतालों में कियोस्क के जरिये बनेंगे ओपीडी कार्ड....
राजधानी दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों से लेकर छोटे अस्पतालों तक, सभी में इलाज के लिए काफी संख्या में मरीज पहुंचते हैं. नतीजन, हमेशा ही सरकारी अस्पतालों में भीड़ लगी रहती है और मरीजों या उनके परिजनों को अपना नम्बर लगाने के लिए लंबी लाइन में घंटों इंतजार करना पड़ता है. लेकिन अब दिल्ली के एम्स (AIIMS) और सफदरजंग जैसे बड़े अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना अब और आसान हो जाएगा. सरकारी अस्पतालों में मरीजों को अब ओपीडी कार्ड बनवाने के लिए लंबी लाइन में लगने की जरूरत नहीं होगी.
अब एम्स, सफदरजंग के अलावा आरएमएल, एलएनजेपी, डीडीयू, दिल्ली स्टेट कैंसर अस्पताल जीबी पंत, आई एल बी एस हॉस्पिटल, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल सहित 40 से ज्यादा अस्पतालों में कियोस्क (Kiosk) मशीन लगाई जाएगी. केजरीवाल सरकार ने भी दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ को देखते हुए कियोस्क मशीन लगाने का फैसला किया है. कियोस्क मशीनों की मदद से मरीज अब खुद अपनी जानकारी डालकर ओपीडी कार्ड का टोकन हासिल कर सकेंगे, जिससे मरीजों को अस्पताल में लंबी लाइनों से छुटकारा मिल जाएगा.
सफदरजंग अस्पताल में कियोस्क से टोकन की शुरुआत
अस्पतालों में कार्ड के लिए लगने वाली लंबी लाइनों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने भी अस्पतालों में कियोस्क मशीन लगाने का फैसला किया है. कियोस्क मशीनों की मदद से मरीज अब खुद अपनी जानकारी डालकर ओपीडी कार्ड का टोकन ले सकेंगे. सफदरजंग अस्पताल के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में यह सुविधा शुरू भी की जा चुकी है. पिछले कुछ दिनों से यहां मरीज खुद ही टोकन ले रहे हैं. मरीज टोकन लेने के बाद स्क्रीन पर अपनी बारी का इंतजार करते हैं और नम्बर आने के बाद काउंटर पर जाकर ओपीडी कार्ड ले लेते हैं.
दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में 8 कियोस्क मशीनें लगाई जा रही हैं. आरएमएल अस्पताल के सभी विभागों के ओपीडी ब्लॉक और पार्किंग के पास ये आठ मशीनें लग रही हैं. इसी तरह एम्स (AIIMS) और लेडी हार्डिंग अस्पताल में भी यह सुविधा जल्द शुरू हो जाएगी. बता दें कि इन मशीनों की सहायता से मरीज को ओपीडी के रजिस्ट्रेशन में महज दो से चार मिनट का वक्त लगता है. इन मशीनों में मरीज की पूरा डिटेल भरी जाती है. मरीज का नाम, पता, आधार नंबर, मोबाइल नंबर और बीमारी के बारे में इस मशीन में जानकारी देनी होती है. पंजीकरण हो जाने के बाद कियोस्क मशीन से एक पर्ची मिलती है, जिससे ओपीडी कार्ड बन सकता है. बता दें कि दिल्ली बेहतरीन हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज का केंद्र है. यहां देश ही नहीं विदेशों से भी हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में कियोस्क मशीनों के जरिए अब इन लोगों को काफी राहत मिल सकती है.