जुलाई का पूरा महीना बड़े अपराधों के नाम रहा। कोचिंग से घर लौट रही छात्रा अक्षया की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हालांकि आरोपित मारने उसकी सहेली को आए थे लेकिन शिकार अक्षया हो गई। इस घटनाक्रम में दुखद पहलू यह है कि अक्षया की सहेली ने कई बार पुलिस से आरोपितों की शिकायत की। घटना के दो दिन पहले भी उसने कोचिंग में अपनी बात कहने की कोशिश की लेकिन किसी ने कान नहीं धरे। नतीजा, यह घटनाक्रम हो गया। इससे लोगों में पुलिस के प्रति गुस्सा फूटा। कैंडल मार्च निकाले गए। पुलिस ने जनआक्रोश के दबाब में ताबड़तोड़ कार्रवाई की और आरोपितों को पकड़ लिया। इसी तरह खरगोन कलेक्टर शिवराज वर्मा की पत्नी को सुबह की सैर से लौटते समय बाइक सवार लुटेरों ने लूट लिया। इस घटना ने पूरे प्रदेश में खाकी की किरकिरी कराई। हालांकि इस घटना को अंजाम देने वाले बदमाश भी दबोच लिए गए। सड़क निर्माण के दौरान सीवर चैंबर खुले छोड़ देना निर्माण एजेंसियों की बड़ी खामी है। इसका शिकार एक पत्रकार हो गया। इस घटना ने नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के बीच समन्वय की पोल खोलकर रख दी। जनता का आक्रोश सामने आया तो निगमायुक्त ने आदेश दिए कि निर्माण के दौरान चैंबर खुले ना छोड़े जाएं। अगर जरूरी हैं तो उसके आसपास बैरीकेड्स लगाए जाएं। लेकिन इन निर्देशों का असर कम ही दिख रहा है। बात जिला प्रशासन की करें तो लोगों की समस्याओं के निराकरण को तवज्जो नहीं मिल रही। पेंडेंसी बढ़ी है और लोगों में निराशा भी।

न्यूज़ सोर्स : Report Card of officer: Crimes spread sensation, sewer infamous