लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी एसपी जोश में है। यही वजह है कि पार्टी ने संकेत  दिए हैं कि लोकसभा चुनाव में वे भले ही कम सीटों पर मान गए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी गठबंधन की पार्टियों के बीच सीट बंटवारे के दौरान वे कम सीटों पर सहमत नहीं होंगे। एनसीपी एसपी के दौरान शरद पवार ने ऐसे संकेत दिए हैं। शरद पवार ने शुक्रवार को पुणे में पार्टी की दो बैठकों में हिस्सा लिया। एक बैठक पार्टी पदाधिकारियों की थी, वहीं दूसरी बैठक पार्टी के विधायकों और नवनिर्वाचित सांसदों की थी। पहली बैठक में शामिल हुए पुणे एनसीपी (एसपी) के प्रमुख प्रशांत जगताप ने कहा कि 'शरद पवार ने सभी को बताया कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कम सीटों पर चुनाव इसलिए लड़ा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के साथ गठबंधन बरकरार रहे।' जगताप ने कहा, 'उन्होंने (शरद पवार) संकेत दिया कि विधानसभा चुनाव में तस्वीर अलग होगी।' जगताप ने बताया कि एनसीपी (एसपी) प्रमुख ने पुणे, बारामती, मावल और शिरूर लोकसभा क्षेत्रों की विधानसभा सीटों की स्थिति की भी समीक्षा की।

फिलहाल तय नहीं कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी एनसीपी एसपी

दूसरी बैठक में शामिल हुए पार्टी के एक नेता ने बताया कि शरद पवार ने सांसदों और विधायकों से विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा। हालांकि राज्य एनसीपी (एसपी) प्रमुख जयंत पाटिल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पार्टी ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह एमवीए सीट बंटवारे की बातचीत के दौरान कितनी सीटें मांगेगी। उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कोई 'बड़ा भाई और छोटा भाई' नहीं है, सभी बराबर हैं।' बारामती विधानसभा सीट से उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बारामती से कौन चुनाव लड़ेगा, इसका फैसला पवार ही करेंगे। उल्लेखनयी है कि अभी बारामती सीट से एनसीपी प्रमुख अजित पवार विधायक हैं। लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी बारामती सीट पर सभी की निगाहें रहेंगी।  देशमुख ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के विधायकों में काफी घबराहट है और उनमें से कुछ एनसीपी (एसपी) नेताओं को फोन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'देखते हैं कि उनके साथ क्या किया जाना है।' बता दें कि लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी गठबंधन के तहत एनसीपी (एसपी) ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से आठ लोकसभा सीटों पर उसे जीत मिली। वहीं अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने चार सीटों पर चुनाव लड़कर केवल एक सीट जीती।