लड़कियां होंगी
लोकेश गुलयानी यायावर किस्म के प्राणी हैं। ये हज़रत ख़ुद कहानियों तक चल कर पहुंचना पसंद करते हैं। कहानी बुनना और उन्हें अपने अंदाज़ में कहना इनकी स्वाभाविक वृति है। कहानियाँ इन्हें अकस्मात् रोज़मर्रा सन्दर्भों में मिल जाती है, जिसे झाड़ कर ये अपना चमन सजाने लगते हैं। कहने को अंतर्मुखी हैं पर मंच पर माइक नहीं छोड़ते। जयपुर में घर है, नौकरी फिलहाल भोपाल में चल रही है। अपने 21 साल के चलते कैरियर के शुरूआती 10 वर्षों में रेडियो और टेलीविज़न की दुनिया से भी जुड़े रहे। कुछ समय तक इन्होने 'सनम' के नाम से रेडियो पर नाइट शो भी होस्ट किये थे।
लेखक पिछले आठ वर्षों से लेखन में हैं और अब तक इनकी निम्न 07 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं:
जे (उपन्यास)
बोध (उपन्यास)
जहनी अय्याशी (कविता संग्रह)
वो कहानी यही है (लघुकथा संग्रह)
यू ब्लडी शिट पंजाबी (लघुकथा संग्रह)
हिम्मत की लाली (उपन्यास)
लड़कियां होंगी (लघुकथा संग्रह)
"लड़कियां होंगी" लोकेश गुलयानी की नई क़िताब :
इस संग्रह में १३ कहानियां हैं। अच्छी बात ये है, कि सभी एक-दूजे से अनजान हैं। अगर जानती होती तो एक दूसरे की चुगली आपसे करती और आपसे पढ़ते न बन पड़ता। मैं एक बात से पूरी तरह इत्तेफ़ाक़ रखता हूँ कि कहानियों के मुक़्क़म्मल होने का अपना समय होता है। यदि उनसे ज़ोर आज़माइश की जाये तो वे ऐसी रूठी लैला हो जाती हैं, जो होती तो ख़ूबसूरत हैं पर ऐन मौक़े पर भौंडा मेक-अप करके आपसे बदला पूरा कर लेती है। इसलिए उन्हें सजने-संवरने का पूरा समय और अदब दिया जाना चाहिए।
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ई मेल : lokesh.gulyani@yahoo.in इंस्टाग्राम: Lokesh.Gulyani