साल के सभी एकादशी तिथि में निर्जला एकादशी व्रत को बेहद महत्वपूर्ण और कठिन माना गया है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी दुख संकट दूर होते हैं. इसके साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त होता है. निर्जला एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

निर्जला एकादशी व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है. क्योंकि, इस व्रत को भोजन और पानी के बिना किया जाता है. निर्जला एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आशीर्वाद प्राप्त होता है. जिससे व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होती है. तो आईए जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत किस प्रकार करें.

निर्जला एकादशी व्रत की तारीख और शुभ मुहूर्त
वैदिक हिंदू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत जेठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून को सुबह 4:45 मिनिट से शुरू होकर, इसी तिथि का समापन 18 जून को सुबह 6:20 मिनिट पर होगा. हमारे सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है. इसलिए निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को ही माना जाएगा.

एकादशी पूजा विधि
निर्जला एकादशी पर व्रत रखने के लिए सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे और दिन की शुरुआत देवी देवता के ध्यान से करें. इसके बाद आप साफ और स्वच्छ किसी नदी के जाल में स्नान कर, पीले वस्त्र धारण कीजिए. यह व्रत भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के लिए रखा जाता है. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अधिक प्रिय है. इसके बाद घर के मंदिर की साफ सफाई करें. फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को एक चौकी पर विराजमान करें.

18 जून को सुबह 6:20 मिनिट होगा समापन
इसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, हल्दी, फल, अक्षत, चंदन, खीर आदि अर्पित करें. फिर धन की देवी मां लक्ष्मी को श्रृंगार की चीज अर्पित करें. फिर उनके सामने दीपक जलाकर आरती करें. इसके अलावा भगवान के मित्रों का जाप करें एवं विष्णु चालीसा का पाठ करें. इसके साथ ही व्रत कथा का पाठ करें. इसके बाद अंत में मिठाई और केले का भोग जरूर लगाए. इस दिन श्रद्धा अनुसार गरीबों को भोजन कराए. वस्त्र दान दें एवं धन का दान करें. किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं.