सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र की कामना से सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, हरतालिका तीज के कठिन व्रत के प्रभाव से ही माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया था.वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 05 सितंबर को दोपहर 12. 21 बजे से होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 06 सितंबर को दोपहर 03.21 बजे होगा. ऐसे में हरतालिका तीज का व्रत 06 सितंबर को किया जाएगा. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार हरतालिका तीज पर कुछ कामों को करना वर्जित बताया गया है. यदि आप व्रत के दौरान यह कार्य करते हैं तो आपको व्रत का विपरीत फल प्राप्त होगा.

हरिद्वार के ज्योतिषी श्रीधर शास्त्री ने लोकल 18 को बताया कि इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना लेकर शिव-पार्वती की उपासना करती हैं. साथ ही उनके लिए कठिन उपवास का पालन करती हैं. वहीं, इस दिन सुहागिन महिलाओं कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.

क्रोध नहीं करना: पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि जो स्त्रियां हरतालिका तीज व्रत को करती हैं उन्हें क्रोध नहीं करना चाहिए यदि ऐसा करते हैं तो व्रत अधूरा रहता है.

व्रत को नहीं तोड़ना: जो स्त्रियां एक बार व्रत करने का संकल्प करके हरतालिका तीज का व्रत करती हैं उन्हें यह व्रत नहीं तोड़ना चाहिए ऐसा करने पर सौभाग्यवती स्त्रियों को अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं.

रात्रि में नही सोना: जिस तिथि में हरतालिका तीज का व्रत होता है. उस रात्रि में स्त्रियों का सोना वर्जित बताया गया है. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार रात्रि में स्त्रियों को जागरण कर भगवान शिव की कथा, स्तोत्र का पाठ करना चाहिए उन्हें विशेष लाभ होता है.

पति से न करें झगड़ा : पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं की जो स्त्रियां हरतालिका तीज के व्रत को करती हैं उन्हें अपने पति के साथ झगड़ा नहीं करना है. पति परमेश्वर का रूप होते हैं जिनके लिए यह व्रत किया जाता है. यदि महिलाएं इस व्रत के दौरान पति के साथ झगड़ा करती हैं तो उन्हें इस व्रत का शुभ परिणाम प्राप्त होगा.

काले रंग से रहे दूर : इस शुभ दिन पर विवाहित महिलाओं को काले रंग की चूड़ियां और कपड़े पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि हिंदू धर्म में काले रंग को अशुभता से जोड़ा जाता है

बड़े-बुजुर्गों का अपमान नहीं करना: जो स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत करती हैं उन्हें विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि वह बड़ो बुजुर्गों का अपमान ना करें. इस व्रत के दौरान बड़े बुजुर्गों का अपमान करना वर्जित होता है. यदि स्त्रियां ऐसा करती हैं तो उन्हें इस व्रत का विपरीत फल प्राप्त होता है.

व्रत की कथा को श्रवण करना: विवाहित महिलाओं को इस व्रत पर देवी पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए, जो महिलाएं इन तीनों में से किसी की भी पूजा नहीं करती है, तो उनका व्रत अधूरा माना जाता है।

पवित्रता बनाए रखना : हरितालिका व्रत को करने से पूर्व ही पवित्रता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए . व्रत में पवित्रता रखने मात्र से ही आधा व्रत पूरा हो जाता है क्योंकि पवित्रता में ही लक्ष्मी और परमात्मा का निवास होता है. यदि व्रत के दौरान पवित्रता नहीं है तो व्रत का फल नहीं मिलता है.

दूध का सेवन वर्जित: पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं की जिन स्त्रियों के द्वारा हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है उन्हें दूध का सेवन नहीं करना चाहिए.. मान्यताओं के अनुसार हरतालिका व्रत के दौरान दूध का सेवन करने से अगला जन्म सर्प योनि का होता है.

फल का सेवन वर्जित: व्रत करने वाली स्त्रियों को इस दिन फल का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि स्त्रियां इस व्रत के दौरान फल का सेवन करती हैं तो अगले जन्म में वह वानर योनि में जाती है.